इस विवाद का असर शेयर बाजार पर भी देखने को मिला। अडानी एंटरप्राइजेज, अडानी ग्रीन और अडानी पोर्ट्स जैसी कंपनियों के शेयरों में 23% तक गिरावट आई। इस झटके ने निवेशकों के ₹2 लाख करोड़ डुबा दिए, जो समूह के लिए हिडेनबर्ग विवाद के बाद सबसे बड़ा संकट है।
यह घटनाक्रम न केवल निवेशकों के लिए चिंता का विषय है, बल्कि भारत के कॉरपोरेट गवर्नेंस पर भी सवाल खड़े करता है। क्या यह विवाद अडानी ग्रुप की छवि और व्यापारिक संचालन को लंबे समय तक प्रभावित करेगा, यह देखना बाकी है।
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